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क़लम का जादू

मैं लिखता हूं तुम पढ़ते हो
पढ़ कर खुश जो होते हो
यूं करते हो फिर तारीफ़ मेरी
कहते हो के ये वो जादूगर है
जो क़लम से जादू करता है
शब्दों के ताने-बाने बुनता है
मैं कहता हूं क़लम मेरी
जज़्बात से मेरे वाकिफ है
धक धक दिल की धड़कनें
इन उंगलियों तक आती है
दिल पर जो गुजर चुकी है
धीरे से क़लम को सुनाती है
बन जाती है फिर एक लय सी
कागज़ पर स्याही बह जाती है
मौसम मेरे अंदर के बाहर का माहौल बनाते हैं
मेरे दिल पर क्या गुजरी अल्फ़ाज़ मेरे बताते हैं

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8 Comments

बहुत ही सुंदर सृजन

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Gunjan Kamal

22-Nov-2022 11:04 PM

बहुत ही सुन्दर

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Punam verma

21-Nov-2022 08:51 AM

Very nice

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अनीस राही

21-Nov-2022 12:08 PM

शुक्रिया 🙏

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